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बच्चे के जन्म के बाद शुरू के 24 घंटे बेहत महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील होते हैं; प्रसव के बाद नवजात शिशु की देखभाल का विशेष ख्याल रखना होता है, चाहे डिलीवरी नार्मल हो या सिजेरियन. शिशु जब इस संसार में कदम रखता हैं, तो उसे सुरक्षित महसूस कराने के लिए उसे माँ की गोद में दिया जाता है.
फिर माँ उसे सीसे से लगा शिशु को गर्मी देती हैं एवं स्पर्श का अहसास करवाती है. इसके बाद वजन के द्वारा कमजोर नवजात शिशु की पहचान और देखभाल करती है. तो आज freekaamaal के इस लेख में 1 महीने के बच्चे की देखभाल कैसे करे?, नवजात शिशु की देखभाल के लिए 1 महीने, और प्रसव के बाद नवजात शिशु की देखभाल आदि के बारे में पढेंगे.
डिलीवरी के बाद के पहले 6 हफ्ते मां और शिशु दोनों के लिए ही बहुत नाजुक होते हैं. प्रसव के बाद महिलाओं का शरीर कमजोरी से लड़ रहा होता है और साथ ही शिशु की देखभाल के लिए भी तैयार हो रहा होता है. वहीं नन्हा शिशु अभी भी गर्भ से बाहर के वातावरण में खुद को ढालने की कोशिश कर रहा होता है.
यही वजह है कि डिलीवरी के तुरंत बाद की गई देखभाल से मां और शिशु को आगे चलकर लंबे समय तक फायदा होता है. शिशु के देखभाल में सबसे अहम भूमिका माँ के दूध का होता हैं, इससे बच्चा स्वस्थ और तंदरुस्त रहता है.
नवजात शिशु को संभालना सबसे महत्वपूर्ण कौशल है जो नए माता-पिता को सीखना चाहिए।
Table of Contents
प्रसव के बाद नवजात शिशु की देखभाल कि अतिआवश्यक होती हैं, जैसे मैंने आपको उपर बताया जन्म के बाद के 24 घंटे बहुत महत्पूर्ण होते है.प्रसव के बाद नवजात शिशु की देखभाल के लिए निचे कुछ बिंदु बताये गये हैं, उन्हें ध्यान से पढ़े.
गर्दन की देखभाल
नहाने की देखभाल
डैपेर की देखभाल
इंजेक्शन समय पर लगवाना
बच्चे को पकड़ने से पहले हमेशा अपना हाथ धोएं या साफ करें
शिशु को ले जाते समय सिर और गर्दन को सहारा दें
उन्हें शांत करने के लिए बच्चों को धीरे से और सुरक्षित रूप से पकड़ें
पहले 30 दिनों में अपने बच्चे को उछालने से बचें, आपका बच्चा खेलने के लिए तैयार नहीं है
कमजोर नवजात शिशु की पहचान और देखभाल करने के कई सारे तरीके है. इसके लिए आपको बच्चे का बेहद ख्याल रखना होता हैं, एवं इसका निरक्षण करना होता है. निचे हमने कमजोर नवजात शिशु की पहचान और देखभाल को दो भाग में प्रकाश डाले है.
साढ़े आठ माह पुरे होने के पहले शिशु का जन्म हो गया हो.
जन्म के समय शिशु का वजन 2 किलोग्राम से कम होना.
शिशु जन्म के बाद से ही अवश्कतानुसार ताकत से स्तनपान नहीं कर पा रहा हो.
अतिरिक्त गर्माहट- कंगारू देखभाल और कम से कम 7 दिन तक शिशु को नहलाये नहीं.
अतिरिक्त स्तनपान - शिशु को कई बार जगा कर स्तनपान करवाएं.
अतिरिक्त साफ़-सफाई - शिशु को चुने से पहले हाथ धुले एवं साफ़ हो.
अब हम बात करेंगे नवजात शिशु की देखभाल के लिए 1 महीने की इसके लिए आप शिशु के साथ ऐसे खेल भी खेल सकती हैं, जो उसे अपने शरीर को जानने में मदद करें. उसकी बाजुओं को सिर से उपर उठाएं और पूछें कि शिशु कितना बड़ा है या फिर उसके पैरों की उंगलियां गिनते हुए गाना गाएं. या फिर शरीर के अलग-अलग अंगों के नाम लेते हुए आप उसके हाथों, पैरों और पेट पर गुदगुदी भी कर सकती हैं.
सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा एक साफ डायपर पहनता है.
अपने बच्चे को हमेशा गर्म पानी से नहलाएं और साफ करें.
बच्चों के अनुकूल साबुन और शैम्पू का प्रयोग करें.
हर 2 या 3 घंटे में बच्चे को दूध पिलाना याद रखें. यदि आपका नवजात शिशु खाने में रुचि नहीं लेता है, तो यह चिंता का कारण है.
नवजात शिशु को संभालने से पहले हमेशा अपने हाथ धोएं. आपके हाथों की त्वचा पर कीटाणु और बैक्टीरिया रहते हैं. आपके बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता उनसे लड़ने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं है.
1 महीने के बच्चे की देखभाल एवं विकास के बारे में अब हम बात करेंगे. शिशु के पैदा होने के बाद उसमें कई तरह के बदलाव आते हैं. जहां शुरू के कुछ दिन वह आंखें तक नहीं खोलता, वहीं बाद में उसके मस्तिष्क व शरीर के साथ-साथ सामाजिक विकास भी होता है. आज निचे हम इसी बारे में बात करेंगे कि कैसे नवजात शिशु की देखभाल के लिए 1 महीने के बाद कितना विकास होता है.
चेहरे और वस्तु की पहचान
स्वाद की पहचान
भूख की समझ
गंध का अहसास
नजरे मिलाना
बातों को समझने की कोशिश
रो कर बात को समझाना
स्पर्श को समझना
वस्तु पर नजर
मुट्ठी बंधना
हाथ पकड़ने की कोशिश
अंगों में हरकत
स्पर्श को समझना
बच्चो की शरीर में गतिविधि आना
हर शिशु को निश्चित समयावधि पर जरूरी टीके लगाए जाते हैं. भारत में ये सभी टीके केंद्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत लगाए जाते हैं. सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों व आंगबाड़ी में ये टीके मुफ्त लगाए जाते हैं, जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए कुछ कीमत चुकानी पड़ती है. जन्म से लेकर छह हफ्ते तक के शिशु को निम्नलिखित टीके लगाए जाते हैं.
आईपीवी 1
हेप-बी 2
हिब 1
रोटावायरस 1
पीसीवी 1
बीसीजी
हेपेटाइटिस बी 1
ओपीवी (जीरो डोज)
डीटी डब्ल्यू पी 1
तो आज इस लेख में हमने बात किया कमजोर नवजात शिशु की पहचान और देखभाल के बारे में. इसके अलावा इस लेख में आपने प्रसव के बाद नवजात शिशु की देखभाल कैसे करे के बारे में जाना, 1 महीने के बच्चे की देखभाल, विकास एवं टीकाकरण के बारे में भी पढ़ा. उम्मीद हैं, अब आपको नवजात शिशु की देखभाल एवं उनका विकास कैसे करने है के बारे में पूर्ण जानकारी मिल गई होगी. यदि आपके मन में कोई प्रश्न या दुविधा उत्पन्न हो रही हो तो हमारे कमेंट सेक्शन के जरिये अपना दुविधा दूर कर सकते है. और ऐसे ही freekaamaal से शॉपिंग करते रहे, साथ ही साथ कैशबैक का लुफ्त उठाते रहे.
Q1.नवजात शिशु को मोटा करने के लिए क्या करना चाहिए?
A1. केला, दाल, दलिया, शकरकंद आदि नवजात शिशु को मोटा करने के लिए खिलाना चाहिए.
Q2.नवजात शिशुओं को सबसे ज्यादा खतरा किसके लिए होता है?
A2.समय से पूर्व जन्म, जन्म के समय श्वास लेने में परेशानी, संक्रमण और जन्म दोष आदि शिशु के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है.
Q3.1 महीने के बच्चे का वजन कितना होना चाहिए?
A3.पहले महीने में बेबी गर्ल का अमूमन वजन 3.5 से 4.9 किलो के बीच और हाइट 53.8 से. मी. होती हैं, और बेबी बॉय का सामान्य वजन 3.7 से 5.3 किलो के बीच और हाइट 54.8 से.
Q4.मेरा नवजात शिशु सोते समय तेज क्यों सांस ले रहा है?
A4.इससे घबराएँ नहीं, चुकि नवजात शिशु की फेफड़े और मशपेशियाँ विकशित होते रहती हैं, इसलिए नवजात शिशु सोते वक्त तेजी से सांस लेता है.